Saturday, March 7, 2015

Go to the far end!

Go to the far end!
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When it was about to get dark,
I realized the importance of light,
I got the Begin,

when it was about to end.
I said, how will it help me now,
when all seem to be over,

Shall i start, from here,
for a few days?

I laughed, it was not new,
its part of life,
success comes after, only when,
you are defeated,

I will take the torch in my hand,
i will walk towards my goal,
i will pass on to others,
who will continue the journey,
to the far end.

Life never stops. do the river?
seasons comes and go, don't the time?
nothing remain, but do the tought people,
see the soldiermarching ahead.
To reach to the goal,
before it gets dark.

Happy Birthday

A day has many things in it,
something good,
something bad,
something which we wish,
and something which we don't.

Days come and go
and come again to go.
So do not worry about
one more day,
which is not going as
your way.

Just finish, what's
on your hand,
little relax and bend.
Smile, to run the shortest
mile.
come home where your life
rest.
Enjoy it.
Enjoy the day.

Man, today
its your birthday!!
Wish you very best for the day,
which is today and
for those
which are yet to come.

माँ

माँ

जीवन जहाँ अंकुरित होता है,
जहाँ उसे रूप मिलता है,
जहाँ वह पलता है, बढ़ता है,संभलता है,
उस आँगन को माँ कहते है

जिसका धर्म ही सिर्फ देना है,
जिसका फ़र्ज़ सिर्फ सहेजना है,
जो पौधों को रोपता है,
उन्हें अपने लहू से सिंचता है
जिस गंगा में सिर्फ आशीष बहते है,
उस सरिता को माँ कहते है

जिसकी कल्पना में सिर्फ मिठास है
जिसकी याद भर से ही,
एक ताकत का एहसास है ,
जिसने भक्ति दी, जो खुद एक शक्ति है,
जो सिर्फ जीवन देते है,
उस शक्ति को माँ कहते है

भगवान को भी माँ की जरूरत होती है
उससे ही जीवन की शुरूआत होती है ,
वह है तो जीवन है, अथवा यह एक कँटीला वन है
जिसके चरणो में तीनो लोक रहते है ,

उस ममता को माँ कहते है

नारी की पहचान अलग

नारी की पहचान अलग

रूप अलग, रंग अलग
कर्म भाव भी अलग अलग
विचार अलग, व्यहार अलग
बोलचाल भी अलग अलग
कई बदलते रिश्तो में
नारी की पहचान अलग

पर परिवर्तन की धारा में
प्रश्न  यही बस आता है
प्रेम से जुडे रिश्तो में
सम्मान क्यूँ खो जाता है
हर घर में जब  वो पाई जाती,
तो अबला क्यूँ बताई जाती?

क्यूँ यह भेदभाव?,
क्यूँ यह व्यवहार  अलग?
क्यूँ डर का ख़्वाब ये?
क्यूँ ये प्रहार अलग?

जुड़ने दो सिर्फ प्रेम से उन्हें,
पर रखो उनका सम्मान अलग
उनके बिना निर्जीवन सब
जीवन में उनका, स्थान अलग

 कई बदलते रिश्तो में
नारी की पहचान अलग